बलिदान देशभक्ति का शिखर है
बलिदान देशभक्ति का शिखर है.
तिलक किया मस्तक चूमा बोली ये ले कफन तुम्हारा, मैं मां हूं पर बाद में, पहले बेटा वतन तुम्हारा.
जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा – केरल से करगिल घाटी तक सारा देश हमारा.
अकबर तो था आक्रमणकारी, उसे महान मत बतलाओ, वीर प्रताप के गुण गाओ.
कर गयी पैदा तुझे उस कोख का एहसान है, सैनिकों के रक्त से आबाद हिन्दुस्तान है.
जिन्हें है प्यार वतन से, वो देश के लिए अपना लहू बहाते हैं, माँ की चरणों में अपना शीश चढ़ाकर, देश की आजादी बचाते हैं
प्रेम ही कर्म, प्रेम ही पूजा, प्रेम का पाठ पढ़ा देंगे !! हम अमन के है पुजारी, ये भाषा सबको सिखला देंगे !
उस भगवा ध्वज वाहक में गजब की रवानी थी, जिसने हर हिन्दुस्तानी के दिल में फिर, देशभक्ति की आग जलाई थी.
जिसने शाहजहाँ और औरंगजेब को उनकी नानी याद दिलाई थी, वो मराठा वीर शिवाजी थे, जिसने मुगलों की चूलें हिलाई थी
देश को आजादी के नए अफसानों की जरूरत है, भगत-आजाद जैसे आजादी के दीवानों की जरूरत है.